बेटे के शहीद होने के बाद मां कर रही नेक काम, गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देकर संवार रही हैं जिंदगी

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martyr air force pilot shishir mother is teaching poor children for free : फौज में जाने वाले सिपाही की जिंदगी का कोई पता नहीं होता। किस कदम पर इनकी जिंदगी का आखरी समय हो, इसके बारे में अंदाजा लगा पाना बेहद कठिन है। फौजी दिन-रात खतरों का सामना करते हैं। यह दिन-रात जागकर देश की सुरक्षा में तैनात रहते हैं। तभी हम सभी लोग अपने घरों के अंदर सुरक्षित आराम से सो पाते हैं। जब एक फौजी देश के लिए शहीद होता है, तो उसके लिए पूरा देश रोता है परंतु परिवार वालों के लिए यह समय बहुत ही नाजुक होता है।

ऐसी स्थिति में एक मां को जब खबर मिलती है कि उसका बेटा देश के लिए शहीद हो गया है तो वह पूरी तरह से टूट जाती है परंतु हम एक ऐसी मां के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जिसने अपने बेटे को खोने के बाद खुद को बिखरने नहीं दिया और यह कुछ ऐसा काम कर रही हैं जिसको हमेशा याद रखा जाएगा। दरअसल, यह अपने बेटे को खोने के बाद गरीब बच्चों को पढ़ाने का नेक काम कर रही हैं।

आपको बता दें कि 6 अक्टूबर 2017 को भारतीय वायु सेना का हेलीकॉप्टर चीनी बॉर्डर से महज 12 किलोमीटर की दूर अरुणाचल प्रदेश में तवांग इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हेलीकॉप्टर हादसे में स्क्वॉड्रन लीडर शिशिर तिवारी भी शहीद हो गए थे। उनकी शहादत पर उनके माता-पिता, सविता तिवारी और वायु सेना में ग्रुप कैप्टन के पद पर रिटायर, शरद तिवारी ने जैसे-तैसे खुद को संभाला। बेटे के शहीद होने के बाद गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहने वाली शहीद शिशिर तिवारी की मां सविता तिवारी गरीब और वंचित बच्चों को मुफ्त में शिक्षित करने का नेक कार्य कर रही हैं।

400 गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रही हैं सविता तिवारी

शहीद शिशिर तिवारी की माँ सविता तिवारी करीब 400 बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दे रही हैं। सविता जी ने कहा कि “मेरी एक ही तमन्ना थी कि मैं अपने बेटे के लिए कुछ करूँ, इसीलिए मैंने इन बच्चों की जिंदगी संवारने की जिम्मेदारी उठाई है। इन बच्चों को सही रास्ता, सही दिशा देकर कुछ बनाना है, ताकि एक दिन यह भी मेरे बेटे की तरह देश की सेवा कर सकें।”

हफ्ते में 5 दिन पढ़ाती हैं शहीद की मां

आपको बता दें बेसहारा बच्चों के लिए सविता तिवारी काफी लंबे समय से कार्य कर रही हैं, परंतु बेटे के जाने के बाद यह अपने कार्य के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो गई थीं। यह सप्ताह में 5 दिन 4 से 5 घंटे तक आर्थिक रूप से कमजोर करीब 400 बच्चों को मुफ्त में शिक्षित कर रही हैं।

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